सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत दी गई थी। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सोरेन को जमानत देने वाला हाईकोर्ट का आदेश बहुत ही तर्कसंगत था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
न्यायमूर्ति गवई ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश एएसजी राजू को चेतावनी देते हुए कहा, “हम आगे कुछ भी नहीं देखना चाहते। अगर हम आगे कुछ भी देखेंगे, तो आप मुश्किल में पड़ जाएंगे…”
झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि प्रथम दृष्टया हेमंत सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी नहीं हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियां जमानत पर विचार करने के लिए हैं और इसका ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा दर्ज किए गए गवाहों के धारा 50 के बयानों पर उच्च न्यायालय द्वारा संदेह जताए जाने पर आपत्ति जताई।
हालांकि पीठ ने कहा, “हमारी राय में, यह एक बहुत ही तर्कसंगत आदेश है,” और ईडी को सोरेन और राज कुमार पहवान के बीच कुछ सांठगांठ दिखानी चाहिए।
पीठ ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने धारा 50 के कथनों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करने के लिए अपने जमानत आदेश में वैध कारण दिए हैं।
न्यायमूर्ति गवई ने एएसजी एसवी राजू को चेतावनी दी क्योंकि वह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी दलीलें जारी रख रहे थे और कहा कि अगर हम आगे कुछ भी देखते हैं, तो आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “विद्वान न्यायाधीश ने बहुत ही तर्कसंगत निर्णय दिया है।”