Friday, November 22, 2024
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सावन में क्यों नहीं छूना चाहिए मांसाहार? केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, पूरी तरह से धार्मिक परंपरा नहीं है

सावन का महीना चल रहा है और आज सावन का तीसरा सोमवार है। भगवान शिव को प्रिय इस महीने में भक्त संयमित जीवन जीते हैं और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं। इस महीने में दान देना और गरीबों की मदद करना भी बहुत पुण्य का काम करता है। हिंदू धर्म में इस महीने में खान-पान से जुड़े कई नियम हैं। जैसे कि मान्यता है कि सावन में मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सावन के महीने में कढ़ी, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि भी नहीं खाने का नियम है। अक्सर लोग इन खान-पान संबंधी मान्यताओं को महज धार्मिक नियम समझकर उनका पालन नहीं करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धर्म में सावन में खाना खाने की मनाही है, विज्ञान भी इसके पीछे का कारण बताता है।

कट्टर मांसाहारी लोग भी नहीं खाते मांसाहारी भोजन

सावन के इस महीने में ज्यादातर लोग मांसाहार से परहेज करते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग अपने परिवार के सभी सदस्यों को इस एक महीने तक नॉनवेज न खाने की सलाह देते हैं। सप्ताह में 3 से 4 दिन नॉनवेज खाने वाले कई लोग सावन के पवित्र महीने में भी पूरी तरह से शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं। लेकिन असल में इस परंपरा के पीछे धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं।

नॉनवेज पचाना मुश्किल होता है

दरअसल, सावन का महीना बारिश का महीना होता है। सूरज की रोशनी कम समय के लिए होती है, चारों तरफ बारिश के कारण उमस और नमी बढ़ जाती है। इससे हमारी जठराग्नि कमजोर हो जाती है। मांसाहारी चीजों को पचने में ज्यादा समय लगता है। हमारे शरीर में दो तरह की पाचक अग्नि होती है। सम और मंद। सम अग्नि में भोजन को शरीर में पचने में 5 से 6 घंटे लगते हैं। जबकि मंद अग्नि में भोजन को पचने में 7 से 8 घंटे लगते हैं। पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण नॉनवेज खाना आंतों में सड़ने लगता है। ऐसे में सावन के महीने में भारी भोजन या आसानी से न पचने वाले भोजन को पचाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए माना जाता है कि सावन के महीने में शाकाहारी भोजन करना बेहतर होता है। नॉनवेज ही नहीं, इस मौसम में कई शाकाहारी चीजें भी वर्जित होती हैं, जो आसानी से पचती नहीं हैं।

संक्रमण से बचाव के लिए

सावन के महीने में पानी आम दिनों से ज्यादा दूषित होता है। इसलिए मछली खाने की मनाही होती है। दरअसल, संक्रमित या प्रदूषित पानी पर निर्भर जीवों को खाने से कई जलजनित संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसके साथ ही वातावरण में नमी बढ़ने से संक्रमण फैलने का ज्यादा डर रहता है। यह संक्रमण जानवरों को भी हो सकता है। ऐसे में जानवरों से होने वाले किसी भी संक्रमण से बचने के लिए नॉनवेज से परहेज करना ही सही है।

बारिश में जानवर करते हैं गर्भधारण

बारिश का मौसम जलीय जीवों के प्रजनन का भी मौसम होता है। अगर आप इस मौसम में इन जानवरों को खाते हैं, तो आप उनकी प्रजनन प्रक्रिया में भी बाधा डालते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सावन के महीने में व्यक्ति की पाचन प्रक्रिया धीमी होती है, इसलिए करी पचाने में परेशानी हो सकती है। साथ ही वात की समस्या भी बनी रहती है। श्रावण मास में करेला, बैंगन, मूली, कटहल, मांस, मछली, दही सहित सभी हरी पत्तेदार सब्जियां खाना वर्जित है।

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