Friday, November 22, 2024
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महिलाओं में बढ़ रहा है इस गंभीर बीमारी का खतरा, संतति सुख से हो सकता है खतरा, 5 लक्षण न बताएं

महिलाओं के गर्भाशय में मांसपेशियों में गांठें बन जाती हैं, जिन्हें फाइब्रॉयड या रोसुली कहते हैं। यह समस्या करीब 30 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करती है और कई बार यह संतान सुख में बाधा उत्पन्न करती है। अगर सही समय पर अल्ट्रासाउंड करवाकर इस समस्या का इलाज कराया जाए तो महिलाओं को परेशानियों से राहत मिल सकती है। बड़ी संख्या में महिलाएं इस समस्या को नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए और इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

नई दिल्ली स्थित फोर्टिस ला फेम अस्पताल की गायनोकोलॉजी विभाग की वरिष्ठ निदेशक डॉ. मीनाक्षी आहूजा ने बताया कि महिलाओं के गर्भाशय में मांसपेशियों में गांठें बन जाती हैं, जिन्हें फाइब्रॉयड कहते हैं। इसे आम भाषा में रोसुली भी कहते हैं। रोउली गर्भाशय के अंदर या दीवार के बाहर हो सकती है। हर 3 में से एक महिला के गर्भाशय में फाइब्रॉयड होता है। आज के दौर में खराब जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी और बच्चे देरी से होने के कारण रोसुली की संभावना बढ़ जाती है। कई लोग जानबूझकर बच्चे पैदा नहीं करना चाहते, जिससे फाइब्रॉयड का खतरा बढ़ जाता है।

डॉ. मीनाक्षी के अनुसार फाइब्रॉयड की स्थिति उसके आकार से ज्यादा मायने रखती है। अगर स्थिति कैविटी के अंदर है, तो इसका जल्द ही इलाज करवाना चाहिए। अगर महिला को बहुत भारी पीरियड्स आ रहे हैं या पीरियड्स बहुत जल्दी-जल्दी आ रहे हैं, तो ये फाइब्रॉएड के लक्षण हो सकते हैं। अगर फाइब्रॉएड का आकार 4-5 सेंटीमीटर है और कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, तो भी इलाज जरूरी है। ये फाइब्रॉएड समय के साथ बढ़ सकते हैं। इससे बचने के लिए समय रहते इलाज करवाना जरूरी है। आम तौर पर महिलाओं के पीरियड्स 3-5 दिनों तक चलने चाहिए, लेकिन फाइब्रॉएड की वजह से पीरियड्स 8-10 दिनों तक चल सकते हैं। इससे एनीमिया हो सकता है। फाइब्रॉएड की वजह से बांझपन हो सकता है और गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है।

ग्रेटर के फोर्टिस हॉस्पिटल के कंसल्टेंट गाइनी एंड ऑन्को सर्जरी डॉ. प्रिया बैसाख ने बताया कि सभी दोस्तों के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं है. गर्भनिरोधक महिला जन्म प्रणाली के सबसे सामान्य बिना ट्यूमर में पाए जाते हैं, जो 20-30% महिलाओं में होते हैं। 30-50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में इसका ख़तरा अधिक होता है। बच्चों में बार-बार पेशाब आना, पैल्विक दर्द, बार-बार पेशाब आना और कब्ज जैसी समस्याएं मौजूद होती हैं। एलोकोएड का रिस्क फैक्टर अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कई जोखिम कारक मौजूद हैं। सभी प्रशिक्षु महिलाओं के लिए परेशानी का कारण नहीं बताया गया है। जो परेशानी पैदा करते हैं, उनकी उत्पादकता की आवश्यकता होती है।

डॉक्टर प्रिया ने बताया कि इलेक्ट्रानिक दवा के लिए नॉन-मार्जिकल और प्रयोगशाला उपकरण उपलब्ध हैं। गर्भनाल अस्थि ऊतक एक रेडियोलॉजिकल प्रक्रिया होती है, जो कि ब्लड वेसल्स को बंद कर देती है। इससे इनका आकार नहीं बढ़ा है. रोबोटिक/लेप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी के माध्यम से गर्भाधान को सुरक्षित रखा जाता है, जिससे अल्ट्रासाउंड को हटा दिया जाता है। कई मामलों में रोबोटिक/लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी से महिलाओं के गर्भपात को शामिल किया जाता है। आज के दौर में उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से लेप्रोस्कोपिक या रोबोटिक सर्जरी के लिए अभ्यास किया जा सकता है।

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