सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ प्रदान करने वाली योजनाएं, जो राज्य और संभवतः केंद्र द्वारा दी जाती हैं, वित्त पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने गुरुवार को कहा कि वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र द्वारा चलाई जा रही मुफ्त योजनाओं पर विचार करेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों और शायद केंद्र द्वारा दिए जा रहे इन व्यक्तिगत लाभों का वित्त पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इसलिए वित्त आयोग को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि देश में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनी रहे। वित्त आयोग इस पर जरूर विचार करेगा।
6-7 महीने में तय हो जाएंगे हालात
पनगढ़िया ने कहा, “व्यक्तिगत लाभ देने वाली योजनाएं, जो राज्य और शायद केंद्र द्वारा भी दी जाती हैं, उनका वित्त पर गहरा असर होता है। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग को यह भी देखना है कि देश में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनी रहे। यह हमारे अधिकार क्षेत्र में आता है।” उन्होंने आगे कहा, “इसलिए वित्त आयोग इस पर जरूर विचार करेगा… क्या वह कुछ कह पाएगा? क्या वह कुछ कह पाएगा या नहीं और क्या कहेगा, इसमें समय लगेगा। उस स्थिति तक पहुंचने में छह-सात महीने लगेंगे।”
केंद्र से टैक्स में ज्यादा हिस्सा
देश में 16वें वित्त आयोग के गठन के बाद आयोग राज्यों की वित्तीय स्थिति का आकलन कर रहा है। आयोग राज्यों और केंद्र सरकार से विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें देगा। इससे पहले आयोग के सदस्यों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा और राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों से बात की। बैठक के बाद पनगढ़िया ने कहा, “राज्य सरकार ने केंद्र से करों में हिस्सेदारी मौजूदा 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है।” उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य की भौगोलिक स्थिति, क्षेत्रफल और विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानकों में भी बदलाव की मांग की है।
कई मायनों में अनूठा है राजस्थान
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बैठक में प्रेजेंटेशन देते हुए बताया गया कि क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है और राज्य का दो तिहाई हिस्सा रेगिस्तान है। देश की 21 प्रतिशत बंजर भूमि राजस्थान में है और यहां पानी की भारी कमी है और राज्य इसलिए भी ‘अद्वितीय’ है क्योंकि इसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा करीब 1,071 किलोमीटर लंबी है। राजस्थान सरकार ने कहा कि राज्य में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए बुनियादी ढांचे पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। राजस्थान की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। वहीं, यहां एससी-एसटी आबादी भी कुल आबादी की 31 प्रतिशत है और राज्य में पानी एक बड़ी समस्या है। राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर पनगढ़िया ने कहा, “इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी हमने चार राज्यों का दौरा किया है। हमें 24 और राज्यों का दौरा करना है। उसके बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।”