Friday, November 22, 2024
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गोंडा रेल हादसा: पांच सदस्यों की टीम कर रही जांच, सामने आई हादसे की ये बड़ी वजह, जानें

उत्तर प्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के पीछे एक बड़ी वजह सामने आई है। पांच सदस्यों की एक टीम इस हादसे की जांच कर रही है।

नई दिल्ली: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटना की जांच कर रहे रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम ने दुर्घटना के लिए रेल पटरी को ठीक से न कसने या न बांधने को जिम्मेदार ठहराया है। समिति के एक सदस्य ने इस राय से असहमति जताई जबकि रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि अभी कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

हर पहलू की विस्तृत जांच

वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की रिपोर्ट में कहा गया है, “रेलवे ट्रैक को ठीक से कसा नहीं गया था, जिसके कारण यह अप्रभावी रूप से काम कर रहा था।” हालांकि, पूर्वोत्तर रेलवे जोन (जिसके अंतर्गत दुर्घटना स्थल आता है) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने कहा कि संयुक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना गलत है। सीपीआरओ ने कहा, “रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा जांच पहले ही शुरू कर दी गई है और शुक्रवार को पहली सुनवाई हुई। इसमें तकनीकी विवरण और छोटी-छोटी जानकारियों के साथ दुर्घटना के हर पहलू की विस्तार से जांच की जाएगी। संयुक्त जांच में कई महत्वपूर्ण बातें सामने नहीं आती हैं, इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”

हादसे में चार लोगों की मौत

गुरुवार को उत्तर प्रदेश के गोंडा के पास मोतीगंज और झिलाही रेलवे स्टेशनों के बीच चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 15904) के पटरी से उतर जाने से चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। जांच दल की रिपोर्ट में कहा गया है कि लखनऊ मंडल के वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर ने दोपहर 1.30 बजे ‘आईएमआर दोष (तत्काल हटाने वाला दोष)’ का पता लगाया और चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस दोपहर 2.28 बजे मोतीगंज स्टेशन से गुजरी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोपहर 2.30 बजे मोतीगंज के स्टेशन मास्टर को एक ज्ञापन दिया गया था, जिसमें उनसे दोषपूर्ण स्थान से गुजरने वाली ट्रेनों की गति 30 किमी प्रति घंटे तय करने का अनुरोध किया गया था।

ट्रैक को गलत तरीके से कसा गया

रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना दोपहर 2.31 बजे हुई। संयुक्त जांच में कहा गया है, “जब आईएमआर का पता चला (दोपहर 1.30 बजे), तब तक सावधानी के आदेश मिलने तक साइट की सुरक्षा की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिससे ट्रेन पटरी से उतर गई।” इसके लिए इंजीनियरिंग विभाग जिम्मेदार है। इंजीनियरिंग विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने लिखा, “मैं संयुक्त रिपोर्ट से पूरी तरह असहमत हूं और इसके लिए कई कारण बताए हैं, जिनमें से एक ट्रैक की माप थी, क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी अनुपस्थिति में ट्रैक को गलत तरीके से कसा गया था।”

लोको पायलट ने गलत ब्रेक लगाए

अधिकारी ने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि साइट संरक्षित नहीं थी, क्योंकि आईएमआर साइट पूरी तरह से सुरक्षित थी और यह पटरी से उतरने का कारण नहीं थी। अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि ‘लोको पायलट’ द्वारा गलत ब्रेक लगाने के कारण ट्रेन पटरी से उतरी। संयुक्त जांच दल ने ट्रेन चालक दल के बयान में दर्ज दुर्घटना का विवरण प्रदान किया। बयान में कहा गया है कि लोको पायलट ने दोपहर 2.28 बजे मोतीगंज स्टेशन से 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन का संचालन शुरू किया और जब वह 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से किलोमीटर संख्या 638/12 (खराब स्थान) को पार कर रहा था, तो उसे तेज झटका लगा और उसके बाद खड़खड़ाहट की आवाज आई, जिसके बाद उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाए। लोको पायलट ने जांच दल को बताया कि जब इंजन बंद हुआ और उसने पीछे देखा तो धूल के ढेर के बीच डिब्बे पटरी से उतर गए थे। जांच दल ने कहा कि 19 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

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