गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट टीम के नए कोच बन गए हैं। उनके सामने राहुल द्रविड़ की विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है। कोच द्रविड़ की अगुआई में भारत ने दो साल में 3 आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई और एक ट्रॉफी भी जीती। यह संयोग ही है कि अगले दो साल में सिर्फ 3 आईसीसी इवेंट होंगे। अब देखना यह है कि कोच गौतम गंभीर के मार्गदर्शन में भारतीय टीम इस दौरान कैसा प्रदर्शन करती है।
टीम इंडिया में बदलाव का दौर
राहुल द्रविड़ ने विश्व कप जीतकर एक कोच के लिए सफलता का मानक तय कर दिया है। अगर गौतम गंभीर भारत को आईसीसी ट्रॉफी नहीं दिला पाए तो उनकी गिनती सफल कोचों में नहीं होगी। अब ट्रॉफी तो सफलता का मानक बन ही चुकी है। लेकिन इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही टीम इसके आड़े आती है। टीम इंडिया के इस बदलाव में गंभीर का रवैया क्या होगा, कई बातें यहीं से तय होंगी।
छवि आक्रामक और आंकड़े बेहतरीन
आम तौर पर गौतम गंभीर की छवि एक आक्रामक और अधिकार जताने वाले कप्तान-कोच की रही है। गंभीर टी20 विश्व कप फाइनल (2007) और वनडे विश्व कप फाइनल (2011) में शीर्ष स्कोरर रहे, जिससे पता चलता है कि वे बड़े मैच के खिलाड़ी थे। बतौर कप्तान उनके नाम दो आईपीएल ट्रॉफी हैं। उन्होंने भारत के लिए कुछ ही मैचों में कप्तानी की, लेकिन सफलता के आंकड़े बेहतरीन रहे। गंभीर ने बतौर मेंटर केकेआर को आईपीएल 2024 का चैंपियन भी बनाया है।
फुटबॉल कोच की तरह आक्रामक
गौतम गंभीर की सफलता के इस सफर में सभी ने देखा कि वे अपनी टीम के ज्यादातर फैसले खुद लेते नजर आते हैं। बतौर कप्तान तो यह उनका अधिकार है, लेकिन बतौर मेंटर-कोच वे काफी आक्रामक भी हैं। आईपीएल में डगआउट में उनकी प्रतिक्रियाएं क्रिकेट कोच से ज्यादा फुटबॉल कोच जैसी होती हैं। कई बार तो ऐसा लगा कि अगर उनका बस चलता तो वे मैदान पर आकर फील्डर को डांट देते।
चैपल ने स्टार कल्चर को नहीं माना
अगर पिछले 20 सालों में भारतीय क्रिकेट टीम को कोचिंग देने वाले दिग्गजों पर नजर डालें तो गौतम गंभीर कुछ हद तक ग्रेग चैपल की शैली से मिलते-जुलते नजर आते हैं। गंभीर का साफ कहना है कि टीम गेम में एक खिलाड़ी को एक सीमा से ज्यादा अहमियत नहीं दी जा सकती। जबकि भारत में किसी क्रिकेटर का सुपरस्टार या भगवान बन जाना कोई बड़ी बात नहीं है। यह एक परंपरा है। यहां क्रिकेटरों के भक्त और मंदिर दोनों होते हैं। ऐसे में गंभीर को अपने नजरिए में थोड़ा बदलाव करना पड़ सकता है। चैपल ने अपने ऑस्ट्रेलियाई नजरिए को नहीं बदला। उन्होंने स्टार कल्चर को पूरी तरह से नकार दिया था। नतीजतन चैपल के समय में टीम इंडिया दो धड़ों में बंट गई। क्रिकेट वर्ल्ड कप में सबसे खराब प्रदर्शन भी चैपल के कार्यकाल में ही हुआ।
रोहित-कोहली के रहते बॉस नहीं बन सकते
यह तय है कि गौतम गंभीर बॉस नहीं बन पाएंगे क्योंकि वे आईपीएल टीमों में रोहित शर्मा के कप्तान और किंग विराट कोहली के रहते हुए रह चुके हैं। कहते हैं बॉस एक ही होता है। भारतीय क्रिकेट में बॉस कल्चर सौरव गांगुली के दौर में शुरू हुआ था, जो आज भी जारी है। यहां कप्तान के पास सुपरपावर या वीटो पावर होती है। कप्तान सिर्फ अपनी पसंद की टीम ही नहीं चाहता, बल्कि कई बार कोच भी उसकी मर्जी के मुताबिक ही बनता है। क्रिकेट प्रेमी तब नहीं भूले होंगे, जब क्रिकेट सलाहकार समिति की सिफारिश के बावजूद अनिल कुंबले कोच नहीं बन पाए थे, क्योंकि तत्कालीन कप्तान विराट कोहली की पसंद रवि शास्त्री थे। बाद में कोहली की पसंद शास्त्री कोच बने।
2027 तक कोच बनाए गए हैं
कोच गौतम गंभीर वनडे विश्व कप 2027 तक भारतीय टीम के कोच बन गए हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि वे अपना मास्टर प्लान लेकर आए होंगे। साल 2027 तक कप्तान रोहित शर्मा 40 साल के हो जाएंगे। रोहित ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि वे 2027 का विश्व कप खेलना चाहेंगे या नहीं। वैसे भी इसके लिए अभी काफी समय है। हो सकता है कि रोहित डेढ़ साल बाद इस पर अपनी राय बना लें। लेकिन गौतम के पास इतना समय नहीं है। उन्हें अपना प्लान बी तैयार रखना होगा। अगर रोहित 2027 के विश्व कप में खेलते हैं तो कप्तान वही रहेंगे या कोई और। वैसे तो कप्तान चुनना चयनकर्ताओं का काम है। लेकिन कोच की पूरी जुगलबंदी कप्तान के पास ही होती है। कोई भी कोच कप्तान के साथ मिलकर ही टीम को सफल बना सकता है। ऐसे में गौतम को याद रखना होगा कि वह निर्णायक नहीं बल्कि सहयोगी की भूमिका में हैं।
कोहली-गंभीर की ‘मुहब्बत’ जगजाहिर
गौतम गंभीर की चुनौतियों की बात बिना विराट कोहली के खत्म नहीं हो सकती. इन दोनों की ‘मुहब्बत’ क्रिकेटप्रेमियों ने भरे मैदान पर देखा है. सबने देखा है कि कैसे एक अफगान प्लेयर (नवीन उल हक) के लिए गौतम गंभीर विराट कोहली से जा भिड़े थे. वह तो अमित मिश्रा थे, जिन्होंने बीचबचाव कर स्थिति संभाल ली थी. कोहली मौजूदा टीम के सबसे बड़े स्टार हैं. सबसे कामयाब बैटर. सबसे फिट क्रिकेटर. उनकी उम्र भी रोहित से दो साल कम है. रोहित के 2027 के वर्ल्ड कप खेलने को लेकर भले ही संशय हो, लेकिन कोहली के बारे में ऐसे सवाल कम ही उठते हैं.
चाहे गौतम गंभीर हों या कोई और.
गौतम गंभीर हों या कोई और कोच, यकीनन वह अपने फॉर्मूले पर ही चलेगा. लेकिन गंभीर के सामने कामयाबी का एक ऐसा फॉर्मूला है, जो उनकी चुनौतियां कम कर सकता है. यह फॉर्मूला उनके सीनियर राहुल द्रविड़ का है, जो टीम के साथ ऐसे घुलमिल जाते हैं, जैसे उनके साथी हों, बड़े भाई हों. द्रविड़ हर कामयाबी पर खिलाड़ियों को आगे कर देते हैं. जब टीम नाकाम होती है या हारती है तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में द्रविड़ दिखते हैं. द्रविड़ अपनी इसी शैली से टीम इंडिया के हर सदस्य के अजीज बनते हैं. गौतम गंभीर को भी टीम में बड़े भाई की भूमिका निभानी होगी.