शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है और मोहम्मद यूनुस को इस सरकार का मुखिया मनोनीत किया गया है। अब कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी राहत दी है। जानिए क्या था मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने के तीन दिन बाद रविवार को भ्रष्टाचार निरोधक आयोग द्वारा दायर भ्रष्टाचार के मामले में मुहम्मद यूनुस को बरी कर दिया गया। ढाका के विशेष न्यायाधीश न्यायालय-4 के न्यायाधीश मोहम्मद रबीउल आलम ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया, जो अदालत में दायर की गई थी, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 494 के तहत मामले के अभियोजन को वापस लेने की मांग की गई थी। डेली स्टार अखबार ने भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के हवाले से यह बात कही।
बीते 7 अगस्त को, ढाका की एक अदालत ने यूनुस और ग्रामीण टेलीकॉम के तीन शीर्ष अधिकारियों, अशरफुल हसन, एम शाहजहां और नूरजहां बेगम को श्रम कानून उल्लंघन के एक केस में बरी कर दिया। 84 वर्षीय अर्थशास्त्री यूनुस ने गुरुवार को अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली है और शपथ लेते ही उन्हें ये बड़ी राहत मिली है।
कौन हैं नूरजहां बेगम
नूरजहां बेगम, जो इस भ्रष्टाचार के मामले में भी आरोपी थीं, 16 सदस्यीय सलाहकार परिषद की सदस्य हैं जो राज्य के मामलों को चलाने में यूनुस की सहायता करेंगी। यूनुस का अस्पष्ट कारणों से शेख हसीना सरकार के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था, जबकि 2008 में सत्ता में आने के बाद अधिकारियों ने उनके खिलाफ कई केसों की जांच शुरू की थीं।
बांग्लादेश के अधिकारियों ने 2011 में वैधानिक ग्रामीण बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की और सरकारी सेवानिवृत्ति विनियमन का उल्लंघन करने के आरोप में यूनुस को इसके संस्थापक प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया था। बता दें कि शेख हसीना के शासनकाल के दौरान मोहम्मद यूनुस पर दर्जनों मामले दर्ज किए गए थे।
कोर्ट ने युनूस को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी
इनमें से एक मामले में जनवरी में, एक अदालत ने श्रम कानून के उल्लंघन के आरोप में यूनुस को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी। कई लोगों का मानना है कि 2007 में जब देश में सेना समर्थित सरकार चल रही थी और हसीना जेल में थीं, तब यूनुस ने एक राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी, जिससे हसीना नाराज हो गई थीं।