भारत में अमीर लोगों की कमी नहीं है। उनके शौक भी कम ऊंचे नहीं हैं। लेकिन क्या भारत में कोई व्यक्ति ट्रेन का मालिक हो सकता है? अगर कानून की दृष्टि से बात करें तो भारत में कोई भी व्यक्ति न तो ट्रेन खरीद सकता है और न ही भारतीय रेल की पटरियों पर अपनी ट्रेन चला सकता है! लेकिन आजाद भारत के दौर में एक समय ऐसा भी आया था, जब एक किसान ट्रेन का मालिक बन गया था। यह ऐतिहासिक घटना 21वीं सदी में घटी थी। रेलवे की एक गलती की वजह से पंजाब का एक किसान पूरी शताब्दी एक्सप्रेस का मालिक बन गया।
संपूर्ण सिंह लुधियाना के कटाना गांव के रहने वाले हैं। एक दिन अचानक वह दिल्ली से अमृतसर के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए। इस घटना की नींव साल 2007 में तब पड़ी, जब रेलवे ने लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन बनाने के लिए संपूर्ण सिंह समेत कई किसानों की जमीन खरीदी।
इसके लिए रेलवे ने 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से इसे खरीदने का फैसला किया, लेकिन पास के गांव में हर एकड़ जमीन के लिए 71 लाख रुपये दिए गए। इस भेदभाव के खिलाफ सम्पूर्ण सिंह कोर्ट गए। पहले कोर्ट ने मुआवजे की रकम 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख और फिर डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा कर दी
. उत्तर रेलवे को 2015 तक भुगतान करने का आदेश दिया गया, जो रेलवे नहीं कर सकी.2017 में फिर कोर्ट ने लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन के साथ साथ स्टेशन मास्टर के ऑफिस को कुर्क करने का आदेश दे दिया. इस तरह से संपूर्ण ट्रेन के मालिक बन गए. वे वकीलों के साथ ट्रेन की कुर्की के लिए स्टेशन भी पहुंच गए.
लेकिन इसके रेलवे प्रशासन चुस्त हुआ और आनन फानन इस आदेश पर तुंरत रोक लगावाई जिससे संपूर्ण सिंह असल में केवल 5 मिनट के लिए ही ट्रेन के मालिक रह सके. मामला कोर्ट में अब भी लंबित बताया जाता है, लेकिन सुवर्ण सिंह का नाम ट्रेन मालिक के तौर पर इतिहास में दर्ज हो गया और इस पर आज भी लोग यकीन नहीं कर पाते हैं.