हर साल आदमखोर यानी बाघों के आबादी में घुसने और लोगों का शिकार करने के मामले सामने आते रहते हैं। ये बाघ जंगल से निकलकर वन्यजीव आबादी वाले इलाकों में घुस आते हैं और फिर इंसानों को अपना शिकार बनाते हैं, लेकिन अब इन घटनाओं पर लगाम लग सकेगी। जुलाई 2024 से अब तक जंगली जानवरों के हमले में 49 लोगों की मौत हो चुकी है।
AI तकनीक से जंगली जानवरों पर रहेगी नजर
उत्तराखंड का वन विभाग ऐसी नई तकनीक लाने जा रहा है, जिसमें जैसे ही कोई बाघ, हाथी या तेंदुआ जंगल से निकलकर आबादी वाले इलाकों में कदम रखेगा, विभाग को इसकी जानकारी मिल जाएगी। इसके लिए पूरी दुनिया में क्रांतिकारी बन रही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
दरअसल, मानव और वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में करीब 10 दिन पहले AI का ट्रायल शुरू किया गया था। इस पर वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसका इस्तेमाल दूसरे संवेदनशील इलाकों में भी किया जाएगा। वन विभाग में पहली बार AI तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कदम उठाया गया है।
वन्यजीव प्रमुख ने दी जानकारी
वहीं, वन्यजीव प्रमुख व वन संरक्षक समीर सिन्हा ने बताया कि जंगल से सटे रिहायशी इलाकों में एआई तकनीक और आधुनिक कैमरा ट्रैप के जरिए वन्यजीवों पर नजर रखी जाएगी। पहले वन्यजीवों की लोकेशन के साथ ही फोटो क्लिक हो जाती थी और फिर चिप निकालनी पड़ती थी। जबकि नए कैमरे में मेमोरी और बैटरी काफी बेहतर है। ये कैमरे सिम और इंटरनेट सपोर्टिव हैं, जिन्हें क्लिक करने के बाद इंटरनेट के जरिए ही एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकेगा।
जानिए कैसे काम करेगी एआई तकनीक
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला ने बताया कि वन्यजीव जंगल से बाहर आते हैं। ऐसे में कैमरे पर क्लिक की गई तस्वीरें सर्वर पर पहुंचेंगी। जहां एआई क्लिक करके उसकी फोटो खींचकर विभाग को अलर्ट कर देगा। विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया टीम के साथ ही ग्रामीणों को भी अलर्ट किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में आदमखोर हमले में 82 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 325 लोग घायल हुए थे। जबकि, 2023 में 66 लोगों की मौत हुई थी और 325 घायल हुए थे। जुलाई 2024 से अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 148 लोग घायल हुए हैं।