गुजरात पुलिस ने साइबर अपराध के कारण फ्रीज किए गए करीब 28,000 बैंक खातों को फिर से खोल दिया है। डीजीपी विकास सहाय ने साइबर अपराध सेल के आईपीएस अधिकारियों को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया है।
अहमदाबाद: गुजरात पुलिस ने मध्यम वर्ग के खाताधारकों को बड़ी राहत देते हुए 28000 बैंक खातों पर लगी रोक हटा दी है। साइबर अपराध के मामलों में संलिप्तता के कारण इन खातों पर रोक लगाई गई थी। गुजरात में डीजीपी विकास सहाय और सीआईडी क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच दो दिवसीय बैठक के बाद यह फैसला लिया गया।
इस वजह से सीज हुए थे खाते
डीजीपी सहाय ने बताया कि पुलिस को ऐसे व्यक्तियों से कई ईमेल प्राप्त हुए हैं जिनके खाते धोखाधड़ी से धन प्राप्त करने के बाद फ्रीज कर दिए गए हैं। हमने पुलिस को निर्देश दिया है कि इन बैंक खातों में केवल धोखाधड़ी से जुड़ी राशि को जब्त किया जाए, न कि पूरे खाते को, जो मध्यम वर्ग के व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण कठिनाई का कारण बनता है।
पुलिस ने की ये अपील
पुलिस ने उन बैंक खाताधारकों को भी प्रोत्साहित किया है जो मानते हैं कि उनके खाते गलत तरीके से फ्रीज कर दिए गए हैं। पुलिस ने कहा कि ऐसे लोग साइबर अपराध में शामिल न होने के सबूत के साथ अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
कैसे सामने आया था मामला
यह घटनाक्रम पिछले दिसंबर में पूर्व इंस्पेक्टर ताराल भट्ट से जुड़े एक मामले के मद्देनजर आया है, जिस पर व्यवसायियों से उनके बैंक खातों को खाली कराने के बहाने पैसे ऐंठने का आरोप था। डीजीपी विकास सहाय के सीधे निर्देश के तहत गुजरात एटीएस द्वारा गिरफ्तारी के बाद भट्ट वर्तमान में जेल में हैं।
गुजरात में सबसे ज्यादा शिकायतें
फरवरी 2024 में लोकसभा में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में 2023 में साइबर अपराध के कारण सबसे अधिक 156 करोड़ रुपये की धनराशि जमा हुई या खो गई। यह देशभर में साइबर अपराध से प्रभावित कुल राशि का 17% है। राज्य ने मौद्रिक धोखाधड़ी से संबंधित 1,21,701 साइबर अपराध शिकायतें भी दर्ज कीं, जो शिकायतों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर हैं।