Friday, November 22, 2024
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CJI ने जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे जजों को दी खास सलाह, कहा- ‘इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं ज्यादा मामले’

सुप्रीम कोर्ट में हर दिन नए मामले आते हैं। इनमें से कई मामले जमानत से जुड़े भी होते हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में जमानत के मामलों को लेकर जजों को खास सलाह दी है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने निचली अदालतों में जमानत की सुनवाई पर चिंता जताई है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीश महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों में संदेह की गुंजाइश होने पर जमानत देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। सीजेआई ने प्रत्येक मामले की बारीकियों पर गौर करने के लिए सामान्य ज्ञान और विवेक का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जिन लोगों को निचली अदालतों से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें वहां जमानत नहीं मिल रही है। इसलिए, उन लोगों को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।’ उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों को हाई कोर्ट से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें जरूरी नहीं कि जमानत मिल जाए और इस वजह से उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। इस देरी से उन लोगों की समस्या और बढ़ जाती है, जिन्हें मनमानी गिरफ्तारी का सामना करना पड़ रहा है।’

बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे सीजेआई

सीजेआई चंद्रचूड़ बेंगलुरु में बर्कले सेंटर फॉर कम्पेरेटिव इक्वालिटी एंड एंटी-डिस्क्रिमिनेशन के 11वें वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे। इस दौरान वे अपने भाषण के अंत में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। सीजेआई से मनमानी गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया था।

जब सीजेआई से यह सवाल पूछा गया

सवाल पूछने वाले ने कहा, ‘हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां पहले काम किया जाता है और फिर बाद में माफी मांगी जाती है। यह बात खासकर उन सरकारी अधिकारियों के लिए सच हो गई है जो कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और यहां तक ​​कि विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों सहित नेताओं को हिरासत में लेने में राजनीति से प्रेरित हैं।” सवाल पूछने वाले व्यक्ति ने कहा कि ये सभी कार्य इस पूर्ण विश्वास के साथ किए जाते हैं कि न्याय बहुत धीमी गति से होता है।

जज जमानत देकर जोखिम नहीं उठाना चाहते

इसके जवाब में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट लगातार यह बताने की कोशिश कर रहा है कि इसका एक कारण देश में संस्थाओं के प्रति अंतर्निहित अविश्वास भी है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज समस्या यह है कि हम अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा दी गई किसी भी राहत को संदेह की नजर से देखते हैं। इसका मतलब यह है कि अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीश महत्वपूर्ण मामलों में जमानत देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते।

ज्यादातर मामले सुप्रीम कोर्ट में नहीं आने चाहिए- सीजेआई

सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीशों को प्रत्येक मामले की बारीकियों और सूक्ष्मताओं को देखना होगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले सुप्रीम कोर्ट में नहीं आने चाहिए। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम जमानत को प्राथमिकता दे रहे हैं ताकि पूरे देश में यह संदेश जाए कि निर्णय लेने की प्रक्रिया के शुरुआती स्तर पर लोगों (न्यायिक अधिकारियों) को यह विचार किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए कि उन्हें कोई खतरा नहीं है।’

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