आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सपना 2019 से अधूरा रह गया है। क्योंकि, अरविंद केजरीवाल इस समय जेल में हैं, इसलिए अधूरे सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी अब उनके साथियों पर आ गई है। केजरीवाल के सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी अब पांच बड़े चेहरों पर आ गई है। दरअसल, हरियाणा अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है। इस राज्य में आम आदमी पार्टी का खाता अभी तक नहीं खुला है। साल 2019 में भी अरविंद केजरीवाल ने खाता खोलने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए।
हरियाणा चुनाव में आप की क्या रणनीति है?
आम आदमी पार्टी ने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इन इलाकों में अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में पार्टी को इन इलाकों की सीटों पर काफी उम्मीदें हैं। खास तौर पर पार्टी को फतेहाबाद, नरवाना, टोहाना, रतिया, कालावल्ली, डबवाली, रानिया, सिरसा, कलायत, गुहला, पेहोवा, लाडला और अंबाला, करनाल, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले की कुछ अन्य विधानसभा सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।
क्या कहते हैं हरियाणा आप प्रदेश अध्यक्ष?
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने न्यूज18 हिंदी से बात करते हुए कहा, ‘अरविंद केजरीवाल के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए हम जैसे सभी कार्यकर्ता कड़ी मेहनत कर रहे हैं। पार्टी किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करने जा रही है। पार्टी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हरियाणा में आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा और मजबूत संगठन है। पिछले 15 दिनों में हमने 45 बड़ी जनसभाएं कीं, जिसमें हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व भी हरियाणा में मौजूद रहा। पिछले 10 दिनों से हमने हरियाणा में परिवार जोड़ो नाम से अभियान चलाया और 4.5 लाख से ज्यादा परिवारों को जोड़ा।’
गुप्ता ने आगे कहा, ‘कल हमने हरियाणा में ‘केजरीवाल की गारंटी’ गारंटी कार्ड लॉन्च किया। हम लगातार कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। कल हमने सोनीपत और करनाल लोकसभा के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। हरियाणा में जनता के पास आम आदमी पार्टी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में भी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी और बहुत जल्द सुनीता केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, भगवंत मान, संजय सिंह समेत देशभर से नेता हरियाणा आ रहे हैं।
साल 2019 में ऐसा रहा पार्टी का प्रदर्शन
पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता पिछले कुछ सालों से हरियाणा में पार्टी को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सुशील गुप्ता ने पिछला लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वे बुरी तरह हार गए थे। गुप्ता कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर भाजपा के नवीन जिंदल से 29,021 वोटों के मामूली अंतर से हार गए थे। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन था।
जहां तक हरियाणा के 2019 विधानसभा चुनाव की बात है तो यह चुनाव अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में लड़ा गया था, जिसमें पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के विधानसभा चुनाव में AAP ने 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से एक भी सीट पर उसे जीत नहीं मिली। AAP ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहां कुल वोट शेयर 0.48% था, जो NOTA के 0.53% से भी कम था। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को ज़्यादातर सीटों पर 1000 से भी कम वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई।
ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ में रहने से क्या मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सुनीता केजरीवाल, संदीप पाठक, सुशील गुप्ता और भगवंत मान जैसे बड़े नेता 2024 में ऐसा कर पाएंगे? पिछले और इस चुनाव में फर्क यह है कि तब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी और अब भगवंत मान की सरकार है। लेकिन, पिछली बार चुनाव की बागडोर अरविंद केजरीवाल के हाथ में थी, जो इस बार नहीं है।