ब्रिटेन में प्रचंड बहुमत से नई सरकार बन गई. कीर स्टार्मर 400 से ज्यादा सीटें लेकर आए. ऐसे में माना जा रहा कि वे काफी ताकतवर होंगे और सरकार चलाना उनके लिए आसान होगा. लेकिन यह सच नहीं है. 1997 में जब टोनी ब्लेयर सत्ता में आए थे, तब उन्हें एक मजबूत अर्थव्यवस्था मिली थी. लेकिन स्टार्मर को विरासत में आर्थिक मंदी मिली. विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. महंगाई लोगों की सैलरी के साथ-साथ बचत पर निगलने पर आमादा है. बोरिस जॉनसन, ऋषि सुनक और अब कीर स्टार्मर, ब्रिटेन के PM तो बदलते जा रहे हैं, मगर कम चुनौतियां नहीं हो रहीं. आइए जानते हैं कि आखिर स्टार्मर को किन मुश्किलों का मुकाबला करना होगा.
लेबर पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा वक्त में कई समस्याएं हैं, जिनका तुरंत कुछ समाधान निकालना ही होगा. सरकार इससे भाग नहीं सकती. शिक्षा से लेकर न्याय और बुनियादी ढांचे से लेकर सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार तक सब पर काम करना होगा.
1. पानी का संकट
ब्रिटेन की सबसे बड़ी जल कंपनी (टेम्स वाटर) कंगाली के दौर से गुजर रही है. उस पर 18 अरब पाउंड से अधिक का कर्ज है. कहीं से इन्वेस्टमेंट नहीं हो रहा.कमाई का ज्यादातर पैसा शेयरधारकों को लाभांश देने में चला जाता है. सरकार पैसा बढ़ाने की इजाजत नहीं देती. ऐसे में पानी का संकट तय है. स्टार्मर को इसके राष्ट्रीयकरण पर विचार करना पड़ सकता है.
2. जेलों में अत्यधिक भीड़
प्रिज़न गवर्नर्स एसोसिएशन के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स की जेलें 99% भरी हुई हैं. इससे पूरी न्याय व्यवस्था विफल होने के कगार पर है. अगर एक फीसदी भी कैदी और बढ़े तो जेलों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल होगा. लेबर पार्टी ने 20,000 नई जेल बनाने का वादा किया है, लेकिन उसे बनाने में कई साल लग जाएंगे. बेहतर तरीका होगा कि कम सजा वाले कैदियों को जल्द रिहा कर दिया जाए.
3. कर्मचारियों की सैलरी
महंगाई को देखते हुए सरकारी कर्मचारी और ट्रेड यूनियन वेतन वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. क्योंकि पिछले 14 साल में उनके लिए कुछ नहीं बदला है. लेबर पार्टी से उनके करीबी संबंध हैं, इसलिए भी उनकी उम्मीदें कुछ ज्यादा है. लेकिन चुनौती ये है कि अगर सैलरी बढ़ी, तो पहले से बेकाबू महंगाई को काबू में करना मुश्किल हो जाएगा.
4. विश्वविद्यालय कंगाली की राह पर
इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों में वित्तीय संकट लंबे समय से बना हुआ है. कई विश्वविद्यालयों को विदेशी छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है. उनके पास कमाई का स्रोत बंद हो गया है. घरेलू छात्र समय से पैसे नहीं जमा कर पा रहे हैं. 2012 में होम ट्यूशन फीस 9000 पाउंड तय की गई थी, लेकिन उसमें तब से मामूली वृद्धि हुई है. कई यूनिवर्सिटीज ने कर्ज ले रखा है, जिसका मोटा ब्याज चुका रहे हैं. कुछ नेताओं ने फीस बढ़ाने की मांग की है. लेकिन ये उसी तरह है कि अगर आपने छूने की भी कोशिश की तो सरकार पर संकट आ जाएगा. स्टार्मर के पास सिर्फ तीन विकल्प हैं. चाहें तो वे इंटरनेशनल स्टूडेंट की सीमा खत्म करें, विश्वविद्यालयों को ज्यादा फंड दें या फिर उन्हें कमाई करने के लिए फ्री छोड़ दें.
5. स्वास्थ्य सेवा के पास फंड नहीं
ब्रिटेन की स्वास्थ्य व्यवस्था संभाल रहे एनएचएस के पास बजट में 12 अरब पाउंड की कमी है. इससे इलाज महंगा होना तय है. कर्मचारियों को समय से सैलरी देने में दिक्कत आ रही है. स्टार्मर ने पैसे देने की बात कही है, लेकिन कितना होगा, इसके बारे में नहीं बताया है. अगर वे 2 अरब पाउंड भी दें तो भी काफी कम होगा. यह सरकार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं.
6. कारपोरेशन फेल
इंग्लैंड में अधिकांश नगर निगम दिवालिया होने की कगार पर हैं. स्थानीय सरकार उन्हें धन तो देती है, लेकिन वह इतना कम है कि उससे खर्च भी नहीं निकल पाता. विश्वविद्यालयों की तरह यहां भी सुधार की बहुत जरूरत है. और अंततः, यूके आर्थिक संकट में है और कई चीजें जो देश को इससे बाहर निकाल सकती हैं, उनके लिए एक चीज की आवश्यकता होती है और वह है पैसा. स्टार्मर के पास इसकी भी कमी होगी.