दुनिया की सबसे बड़ी विमान निर्माता कंपनी बोइंग को धोखाधड़ी का दोषी पाया गया है। बोइंग के खिलाफ जो दोष साबित हुआ है, उसकी भरपाई तो नहीं की जा सकती, लेकिन कंपनी पर 2,000 करोड़ रुपये (243.6 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया गया है। बोइंग ने यह जुर्माना भरने पर भी सहमति जताई है। साथ ही कंपनी अगले 3 सालों में अपने विमानों की सुरक्षा के लिए 4,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। दरअसल, 2018 और 2019 में दो बोइंग 737 मैक्स विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे, जिसमें 346 लोगों की मौत हो गई थी। आज हम आपको बोइंग के पहले विमान हादसे से लेकर अब तक की पूरी कहानी बता रहे हैं।
बोइंग के सबसे सुरक्षित विमान माने जाने वाले 737 मैक्स के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कई सवाल उठे थे। आरोप लगाया गया था कि इन विमानों में कुछ दिक्कतें थीं, जिसकी वजह से ये क्रैश हुए। फिर जांच शुरू हुई और अब फिर से दिक्कतें सामने आई हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने कंपनी को आदेश दिया है कि वो दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा दे।
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बोइंग जैसी कंपनी के लिए यह बड़ा झटका है। क्योंकि कंपनी अब अगले 3 साल तक कोर्ट की निगरानी में रहेगी। इस दौरान कोर्ट के सदस्य विमानों में सुरक्षा की जांच करेंगे और इसकी रिपोर्ट सरकार को देंगे। अगर कंपनी 3 साल में सुधार नहीं कर पाई तो फिर से सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
भारत में किन कंपनियों के पास हैं बोइंग के विमान
दुनिया भर में बोइंग के विमानों का दबदबा है। ऐसे में लगभग सभी भारतीय विमानन कंपनियों के बेड़े में बोइंग के विमान हैं। पैसेंजर एयरलाइंस एयर इंडिया, अकासा एयर, स्पाइस जेट और विस्तारा के पास बोइंग से खरीदे गए विमान हैं। इसके अलावा ब्लू डार्ट और स्पाइसएक्सप्रेस के पास कार्गो (माल ढोने वाले जहाज) में बोइंग के विमान हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उपरोक्त कंपनियों में से 2022 में शुरू होने वाली अकासा एयर के पास बोइंग 737 मैक्स मॉडल के 22 विमान हैं। स्पाइसजेट और एयर इंडिया के पास एक ही मॉडल के 9-9 विमान हैं। हालांकि, भारतीय विमानन कंपनियों के पास बोइंग 737, 757, 777 और 787 ड्रीमलाइनर जैसे शाही विमान भी हैं।
कब हुए विमान हादसे? कितने लोगों की मौत हुई
दो बोइंग 737 मैक्स विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए। पहला हादसा 29 अक्टूबर 2018 को इंडोनेशिया में हुआ। 5000 फीट की ऊंचाई पर उड़ते समय इस विमान में खराबी का संदेह हुआ और आखिरकार यह जावा सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में 189 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।
दूसरा हादसा 19 मार्च 2019 को इथियोपिया में हुआ। केन्या जाने वाली फ्लाइट में 149 यात्री और 8 क्रू मेंबर सवार थे। उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही विमान का संतुलन बिगड़ गया और यह भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान इतनी तेजी से जमीन पर गिरा कि उस जगह पर 90 फीट चौड़ा और 120 फीट लंबा गड्ढा बन गया।
भारत और दुनिया में प्रतिबंध
इंडोनेशिया और इथियोपिया में 2018 और 2019 में दो घातक दुर्घटनाओं के बाद भारत समेत 40 से ज़्यादा देशों ने बोइंग के 737 मैक्स विमानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जांच पूरी होने और विमान की तकनीकी समस्याओं का समाधान होने तक 737 मैक्स सीरीज के विमानों को उड़ान न देने का आदेश दिया था।
18 महीने की लंबी जांच के बाद अमेरिका ने 737 मैक्स उड़ानों पर प्रतिबंध हटा लिया। दो साल बाद बोइंग 737 मैक्स सीरीज के विमान धीरे-धीरे दूसरे देशों में भी सेवा में लौटने लगे। इसके लिए कंपनी को MCAS सॉफ्टवेयर में संशोधन करना पड़ा, जिसे दुर्घटनाओं का कारण माना जा रहा था। भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अगस्त 2021 में बोइंग 737 मैक्स विमानों पर प्रतिबंध हटा लिया।
बोइंग को कितना नुकसान हुआ?
जेट विमानों की उड़ान पर प्रतिबंध के कारण बोइंग को एक कंपनी के तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ा। अगर अब लगाए गए जुर्माने को अलग रख दें, तो भी बोइंग को भारी नुकसान हुआ। विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार-