सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले मामले को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। हिंदू पक्ष इस आदेश को वापस लेने की दलील दे रहा है।
भोजशाला मामले पर 22 जुलाई को सुनवाई होनी है। इससे पहले हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1 अप्रैल के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले मामले को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाए। हिंदू पक्ष इस आदेश को वापस लेने की गुहार लगा रहा है। हिंदू पक्ष ने कहा कि मस्जिद कमेटी एएसआई जांच पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट आई थी। लेकिन एएसआई जांच पूरी हो चुकी है और एएसआई ने जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल कर दी है। हिंदू पक्ष ने कहा कि 2047 पन्नों की एएसआई रिपोर्ट दाखिल की गई है, जिसमें सनातन संस्कृति के कई संकेत मिले हैं। हिंदू पक्ष ने कहा कि न्याय के हित में सुप्रीम कोर्ट को अपना अंतरिम आदेश वापस लेना चाहिए, ताकि मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में आगे बढ़ सके।
ASI रिपोर्ट में क्या है?
एएसआई ने लगातार 98 दिनों तक भोजशाला का सर्वे किया। 500 मीटर के दायरे का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया और उसके बाद 2000 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की। अपनी रिपोर्ट में एएसआई ने बताया कि भोजशाला में करीब 97 मूर्तियां मिली हैं। इनमें से 37 मूर्तियां देवी-देवताओं की हैं जबकि बाकी मूर्तियां हिंदू धर्म से जुड़ी दूसरी चीजों की हैं। इसके अलावा रिपोर्ट में कई ऐसे निष्कर्ष हैं, जो साबित करते हैं कि भोजशाला पहले मंदिर थी लेकिन मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद मानता है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मूर्तियां मंदिर में बाद में रखी गई हैं।
मंदिर का ढांचा पुराना है
रिपोर्ट के बिंदु संख्या 36 में कहा गया है कि भोजशाला की दीवारों और खंभों पर भगवान गणेश, ब्रह्माजी, नरसिंह और भैरव की मूर्तियां हैं। रिपोर्ट के बिंदु संख्या 49 में कहा गया है कि यहां संस्कृत और प्राकृत भाषा में लिखे गए शब्द और मंत्र अरबी और फारसी से भी पुराने हैं, इससे साबित होता है कि संस्कृत और प्राकृत भाषा का इस्तेमाल करने वाले लोग भोजशाला में सबसे पहले आए। इसी तरह ASI की रिपोर्ट 22 और 23 में कहा गया है कि जो संरचनाएं बाद में बनाई गईं, वे जल्दबाजी में बनाई गईं, इसलिए समरूपता और डिजाइन का ध्यान नहीं रखा गया। लेकिन जो संरचनाएं पुरानी हैं, उनका आकार और ऊंचाई एक समान है। इससे साबित होता है कि मंदिर की संरचना पुरानी है।