Sunday, June 1, 2025
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कभी 25 कमरों के बंगले में रहता था ये सुपरस्टार, राज कपूर के बराबर फीस लेता था, फिर भी चॉल में गुजारे आखिरी दिन

एक्टिंग की दुनिया में कब किसकी किस्मत चमक जाए और कब किसकी किस्मत चमक जाए, ये कोई नहीं बता सकता। बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हुए हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में एक्टिंग की दुनिया पर राज किया। खूब नाम और शोहरत कमाई। लेकिन अपने आखिरी दिन गरीबी में गुजारे। ऐसे ही एक एक्टर थे भगवान दादा।

भगवान दादा का जन्म एक कपड़ा मिल मजदूर के घर हुआ था। शुरुआती दिनों में उन्होंने मजदूरी भी की, लेकिन उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का भी शौक था। फिल्मी दुनिया में उन्होंने फिल्म ‘क्रिमिनल’ से बॉलीवुड में कदम रखा। अपने फिल्मी करियर में उन्होंने ‘बहादुर’, ‘किसान’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। उनकी फिल्म ‘अलबेला’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। भगवान दादा ने अपने करियर में खूब पैसा कमाया, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब वो पूरी तरह बर्बाद हो गए। 1940 और 50 के दशक में इस एक्टर की हालत ऐसी हो गई थी कि उन्हें अपने आखिरी दिन मुंबई की एक चॉल में गुजारने पड़े। भगवान दादा ने अपने जीवन में खूब पैसा कमाया था।

उनकी गिनती सबसे अमीर अभिनेताओं में होती थी।

उनके पास समुद्र किनारे 25 कमरों का आलीशान बंगला, लग्जरी कारें, नौकर-चाकर सब कुछ था। भगवान दादा ने बतौर एक्टर और डायरेक्टर खूब नाम कमाया। दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के बाद वे ही थे जो उस समय सबसे ज्यादा फीस लेते थे। लेकिन भगवान दादा को जुए और शराब की लत थी। कुछ ही समय में सफलता उनके हाथ से फिसल गई भगवान दादा ने 40 के दशक में छोटे-मोटे रोल निभाकर नाम कमाया। साल 1942 में उन्होंने जागृति प्रोडक्शंस का गठन किया और प्रोड्यूसर बन गए। मेनस्ट्रीम सिनेमा से हटकर फिल्में बनाना उनका जुनून था। राज कपूर ने भी उन्हें इसके लिए राजी किया। साल 1951 में उन्होंने ‘अलबेला’ बनाई जो उस दौर की बड़ी हिट साबित हुई। ‘शोला जो भड़के’ गाने के बाद वे पॉपुलर हो गए। इसके बाद उन्होंने ‘झमेला’ और ‘भागम भाग’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं। लेकिन सफलता उनके हाथ से फिसल गई।

एक फिल्म ने उन्हें बर्बाद कर दिया

कहते हैं कि जब उन्होंने हंसते रहना फिल्म बनाई थी, तो यह उनका सबसे बुरा फैसला था। इस फिल्म के लिए भगवान ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। लेकिन उन्हें यह फिल्म बीच में ही बंद करनी पड़ी। इस वजह से उन्हें अपना सबकुछ बेचना पड़ा। वह लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गए।

आपको बता दें कि 60 के दशक तक भगवान दादा ने चरित्र भूमिकाएं निभानी शुरू कर दी थीं। घर चलाने के लिए उन्हें अपना सबकुछ बेचना पड़ा। आखिरकार उन्होंने अपना बंगला बेच दिया और दादर की एक चॉल में रहने लगे। फिर एक ऐसा वक्त आया जब इंडस्ट्री ने उन्हें पूरी तरह से भुला दिया और वह गुमनामी के अंधेरे में खो गए। साल 2002 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।

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