इससे पहले आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2023-24 में भी डेरिवेटिव सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी पर चिंता जताई गई थी। समीक्षा के अनुसार, विकासशील देश में सट्टा कारोबार के लिए कोई जगह नहीं है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बेलगाम डेरिवेटिव कारोबार (एफएंडओ) पर लगाम लगाने के लिए सख्त नियम लाने का प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) के जरिए जल्दी पैसा कमाने के लिए छोटे निवेशक अपनी मेहनत की कमाई इसमें लगा रहे हैं और उसे डुबो रहे हैं। सेबी के मुताबिक, 10 में से 9 छोटे निवेशक फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में अपना पैसा डुबो रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बारे में चिंता जताई थी। अब सेबी ने कड़ा रुख अपनाया है। सट्टा आधारित कारोबार पर लगाम लगाने के लिए सेबी ने मंगलवार को इंडेक्स डेरिवेटिव के नियमों को कड़ा करने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए न्यूनतम अनुबंध आकार में संशोधन और ऑप्शन प्रीमियम के अग्रिम संग्रह का प्रावधान किया गया है।
आर्थिक समीक्षा में भी जताई गई थी चिंता
सेबी का यह प्रस्ताव केंद्रीय बजट में वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) सौदों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को 1 अक्टूबर से बढ़ाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद आया है, ताकि डेरिवेटिव सेगमेंट में खुदरा व्यापारियों की अत्यधिक रुचि से उत्पन्न चिंताओं को दूर किया जा सके। इससे पहले, आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2023-24 में भी डेरिवेटिव सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जताई गई थी। समीक्षा के अनुसार, विकासशील देश में सट्टा कारोबार के लिए कोई जगह नहीं है।
सेबी ने इन बदलावों पर मांगे सुझाव
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने परामर्श पत्र में साप्ताहिक सूचकांक उत्पादों को युक्तिसंगत बनाने, दिन के कारोबार के दौरान सौदे के दायरे की निगरानी करने, कीमतों को उचित बनाने, एफएंडओ सौदों के निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभ को हटाने और निकट अनुबंध समाप्ति मार्जिन को बढ़ाने जैसे उपायों का प्रस्ताव दिया है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 20 अगस्त तक जनता से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।
दो चरणों में बदलाव की तैयारी
बाजार नियामक ने कहा कि व्यापक बाजार मापदंडों में देखी गई वृद्धि के मद्देनजर इंडेक्स डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए न्यूनतम अनुबंध आकार को दो चरणों में संशोधित किया जाना चाहिए। पहले चरण के तहत डेरिवेटिव अनुबंध का न्यूनतम मूल्य शुरुआत में 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच होना चाहिए। सेबी के अनुसार, छह महीने बाद दूसरे चरण के तहत अनुबंध का न्यूनतम मूल्य 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच रखा जाना चाहिए।