Friday, November 22, 2024
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बांग्लादेश हिंसा: प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देखते ही गोली मारने के आदेश का बचाव किया, बताया क्यों उठाए गए ये सख्त कदम?

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कर्फ्यू लगाने और देखते ही गोली मारने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ये कड़े कदम जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए थे।

बांग्लादेश इन दिनों हिंसा की आग में जल रहा है। देश में छात्रों का हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। इसे नियंत्रित करने के लिए शेख हसीना की सरकार ने कर्फ्यू लगाने के निर्देश दिए थे। साथ ही प्रदर्शनकारियों और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए थे। अब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने फैसले का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। हसीना की यह टिप्पणी बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी मांग को स्वीकार करने और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सीमा कम करने के एक दिन बाद आई है।

शेख हसीना ने किसे जिम्मेदार ठहराया?

शेख हसीना ने एक बयान में कहा कि पूर्ण लॉकडाउन लागू होने और आरक्षण आंदोलन से जुड़ी हालिया घटनाओं के कारण देशभर में आम लोगों का जीवन और आजीविका प्रभावित हुई है। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने मेट्रो रेल, एक्सप्रेसवे, पुल निर्माण, आपदा प्रबंधन भवन, विभिन्न सरकारी और निजी भवनों और घरों में संगठित तरीके से आगजनी और तोड़फोड़ की। हसीना ने हिंसा के लिए मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी और उनकी छात्र शाखाओं को जिम्मेदार ठहराया है। हसीना ने कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए अस्थायी रूप से कर्फ्यू लगा दिया है।

पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प

दरअसल, छात्र सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान देश में पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। प्रदर्शनकारी 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले (पूर्व) सैनिकों के परिजनों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे हैं। कई स्थानीय अख़बारों ने बताया कि हिंसा में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। अधिकारियों ने अभी तक हिंसा में हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़े साझा नहीं किए हैं। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को अपने फ़ैसले में कहा कि 93% सरकारी नौकरियाँ योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जानी चाहिए, जिसमें 5% 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भाग लेने वालों के परिजनों के लिए और 2% अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित होनी चाहिए।

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