नेम प्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि होटल वालों को सिर्फ खाने के प्रकार की जानकारी देनी होगी, यानी यह शाकाहारी है या मांसाहारी।
यूपी की योगी सरकार ने आदेश दिया था कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबे और ठेले वाले अपनी दुकानों पर मोटे अक्षरों में अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखेंगे. योगी ने यह आदेश कांवड़ियों की आस्था को लेकर दिया था लेकिन विपक्ष ने इसे हिंदू मुस्लिम का मुद्दा बना दिया. आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका को लेकर तीखी बहस हुई जिसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने नेमप्लेट नियम पर अंतरिम रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि होटल चलाने वालों को सिर्फ खाने के प्रकार यानी शाकाहारी या मांसाहारी की जानकारी देनी होगी.
‘गरीब मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है’
वहीं, इस मामले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है. ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आज का अंतरिम आदेश अच्छा है लेकिन बीजेपी यहीं नहीं रुकने वाली है. उनका निशाना मुस्लिम छोटे व्यापारी हैं, जो रोज कमाते हैं. मुसलमानों को ढाबों से बाहर निकाल दिया गया। उनकी कोशिश छोटे मुसलमानों का रोजगार खत्म करने की है। यह नफरत खत्म होनी चाहिए।
बीजेपी के सहयोगियों के बारे में ओवैसी ने क्या कहा?
बीजेपी के सहयोगियों पर ओवैसी ने कहा, ये लोग न बोलें तो बेहतर है क्योंकि बीजेपी उनकी बात नहीं सुनती। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, आरएसएस ने कभी भारतीय तिरंगे को स्वीकार नहीं किया। महात्मा गांधी की हत्या के बाद नेहरू और पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। आप सरकारी कर्मचारियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?