Thursday, November 21, 2024
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AI, साइबर सिक्योरिटी और कंटेंट क्यूरेशन, Gen Z को पसंद हैं ये 3 जॉब्स, देखें ये रिपोर्ट

लगभग 62 प्रतिशत भारतीय युवा अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने शौक और रुचियों को छोड़ने को तैयार हैं। 14 घंटे के कार्य दिवस और 70 घंटे के कार्य सप्ताह पर बहस ने जेन जेड के बीच कार्य-जीवन संतुलन पर चर्चा को बढ़ावा दिया है।

देश में हर चौथा जनरेशन-जेड युवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), साइबर सिक्योरिटी और कंटेंट क्यूरेशन जैसी नई-पुरानी नौकरियों की ओर आकर्षित है, जबकि 43 फीसदी युवा अपने करियर में सफलता के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस का त्याग करने को भी तैयार हैं। एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है। जनरेशन-जेड का मतलब आमतौर पर वर्ष 1995 से 2010 के बीच पैदा हुए लोग होते हैं। ‘क्वेस्ट रिपोर्ट 2024’ जनरेशन-जेड के सपनों, करियर और आकांक्षाओं के रुझान को इंगित करती है।

उद्यमिता के प्रति कम झुकाव

रिपोर्ट में पाया गया कि केवल 9 प्रतिशत उत्तरदाता उद्यमिता की ओर बढ़ना चाहते हैं, क्योंकि वे काम और जीवन के बीच स्थिरता और सुरक्षा को महत्व देते हैं। साइबरमीडिया रिसर्च के सहयोग से स्मार्टफोन ब्रांड IQ द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, चार में से एक भारतीय उत्तरदाता कंटेंट क्यूरेशन, डेटा विश्लेषण, AI और साइबर सुरक्षा जैसे नए युग के क्षेत्रों की ओर अधिक झुकाव रखता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 43 प्रतिशत और वैश्विक स्तर पर 46 प्रतिशत उत्तरदाता अपने करियर में सफल होने के लिए कार्य-जीवन संतुलन का त्याग करने के लिए भी तैयार हैं।

6,700 युवाओं के बीच किया गया सर्वेक्षण

इसमें यह भी कहा गया है कि लगभग 62 प्रतिशत भारतीय युवा अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए शौक और अन्य रुचियों को भी छोड़ सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 घंटे के कार्य दिवस और 70 घंटे के कार्य सप्ताह पर बहस ने जेन जेड के बीच काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन पर चर्चा को बढ़ावा दिया है। यह सर्वेक्षण अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, ब्राजील और भारत सहित सात देशों के 20-24 वर्ष की आयु के 6,700 युवाओं के बीच किया गया था। सर्वेक्षण में शामिल 19 प्रतिशत भारतीय बड़ी कंपनियों में करियर ग्रोथ देखना चाहते हैं, जबकि 84 प्रतिशत भारतीय युवा अपनी नौकरी को अपने लक्ष्यों के अनुरूप मानते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पुरुषों की तुलना में दोगुनी संख्या में महिलाओं को लगता है कि पुरुषों और महिलाओं के बीच का अंतर उनके सपनों को प्रभावित करता है।

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