भारत और पाकिस्तान के बंटवारे की घोषणा के साथ ही देश के सभी हिस्सों में दंगे फैल गए थे। लाहौर भी इन दंगों से अछूता नहीं था। इन दंगों से आहत महात्मा गांधी ने लाहौर जाने का फैसला किया और 6 अगस्त 1947 की सुबह वाड कैंट से लाहौर के लिए रवाना हुए। लाहौर, जिसे कभी लवपुर के नाम से जाना जाता था, में उन दिनों 40 प्रतिशत से अधिक हिंदू और सिख थे। मुस्लिम लीग द्वारा भड़काए गए दंगों की आग में जल रहे अधिकांश हिंदू और सिख लाहौर से पलायन करने लगे थे।
रावलपिंडी में कुछ समय बिताने के बाद महात्मा गांधी का काफिला दोपहर करीब डेढ़ बजे लाहौर पहुंचा था। लाहौर में जिस घर में महात्मा गांधी के रहने और खाने का इंतजाम किया गया था, वह हिंदू बहुल इलाके में था। इस घर तक जाते समय महात्मा गांधी ने जो कुछ देखा, उसे देखकर उनका मन बहुत व्यथित हुआ। रास्ते में न केवल कई जले हुए घर और दुकानें थीं, बल्कि एक मंदिर का दरवाजा भी तोड़कर फेंक दिया गया था। बहुत दुखी मन से महात्मा गांधी ने हल्का भोजन किया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलने चले गए।
लेखक प्रशांत पोल के अनुसार लाहौर से लौटते समय महात्मा गांधी को सूचना मिली कि भारत का नया राष्ट्रीय ध्वज लगभग तैयार हो चुका है। नए राष्ट्रीय ध्वज से चरखा हटा दिया गया है और सम्राट अशोक का प्रतीक ‘अशोक चक्र’ शामिल कर दिया गया है। यह सुनते ही महात्मा गांधी क्रोधित हो गए। उन्होंने अपने साथ आए एक कार्यकर्ता से कहा कि सम्राट अशोक ने भले ही बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया हो, लेकिन उनका अतीत बहुत हिंसक रहा है। ऐसे हिंसक राजा का प्रतीक भारत के राष्ट्रीय ध्वज में कैसे हो सकता है?
क्रोधित महात्मा गांधी ने महादेव भाई से कहा कि बैठक समाप्त होते ही एक बयान तैयार करके अखबारों में दे दें। इस बयान में महात्मा गांधी ने लिखा कि…
क्या नेहरू यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार थे?
6 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू 17 यॉर्क रोड स्थित अपने आवास पर लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब लिखवा रहे थे। लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने पत्र में न केवल कुछ महत्वपूर्ण तिथियों का उल्लेख किया था, बल्कि इन तिथियों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के साथ यूनियन जैक फहराने की शर्त भी रखी थी। पंडित नेहरू ने अपने जवाबी पत्र में लिखा था कि… प्रिय लॉर्ड माउंटबेटन, आपने अपने पत्र में उन दिनों की सूची दी है, जिन दिनों भारत की सरकारी इमारतों पर यूनियन जैक फहराया जाना चाहिए।
मेरे हिसाब से इसका मतलब यह है कि भारत के सभी सार्वजनिक स्थानों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के साथ यूनियन जैक फहराया जाना चाहिए। मुझे आपकी सूची में बताए गए एक दिन से दिक्कत है और वह दिन है 15 अगस्त यानी हमारी आजादी का दिन। मुझे लगता है कि इस दिन यूनियन जैक फहराना उचित नहीं होगा। हालांकि, अगर आप उस दिन लंदन स्थित ‘इंडिया हाउस’ पर यूनियन जैक फहराते हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
क्या नेहरू यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार थे?
6 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू 17 यॉर्क रोड स्थित अपने आवास पर लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा भेजे गए पत्र का जवाब लिखवा रहे थे। लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने पत्र में न केवल कुछ महत्वपूर्ण तिथियों का उल्लेख किया था, बल्कि इन तिथियों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के साथ यूनियन जैक फहराने की शर्त भी रखी थी। पंडित नेहरू ने अपने जवाबी पत्र में लिखा था कि… प्रिय लॉर्ड माउंटबेटन, आपने अपने पत्र में उन दिनों की सूची दी है, जिन दिनों भारत की सरकारी इमारतों पर यूनियन जैक फहराया जाना चाहिए।
मेरे हिसाब से इसका मतलब यह है कि भारत के सभी सार्वजनिक स्थानों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के साथ यूनियन जैक फहराया जाना चाहिए। मुझे आपकी सूची में बताए गए एक दिन से दिक्कत है और वह दिन है 15 अगस्त, यानी हमारी आजादी का दिन। मुझे लगता है कि इस दिन यूनियन जैक फहराना उचित नहीं होगा। हालांकि, अगर आप उस दिन लंदन में ‘इंडिया हाउस’ पर यूनियन जैक फहराते हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
इस तरह चाहते थे बाबा साहेब बंटवारा
लेखक प्रशांत पोल के अनुसार, 6 अगस्त 1947 को मुंबई में डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के निवास पर उनसे मिलने वालों की लंबी कतार लगी हुई थी। बाबा साहब लोगों से मिल तो रहे थे, लेकिन हिंदू-मुस्लिम दंगों से जुड़ी खबरें उन्हें लगातार परेशान कर रही थीं। बाबा साहब ने बंटवारे पर अपनी सहमति देते हुए साफ तौर पर एक शर्त रखी थी और यह शर्त थी जनसंख्या की अदला-बदली। उनका मानना था कि जनसंख्या की अदला-बदली से ही भारत का भविष्य शांतिपूर्ण हो सकता है।